Prime Minister's address at Dera Baba Nanak in Gurdaspur, Punjab Prime Minister's address at Dera Baba Nanak in Gurdaspur, Punjab

Prime Minister's address at Dera Baba Nanak in Gurdaspur, Punjab


Text of PM’s address at Dera Baba Nanak in Gurdaspur, Punjab

9 November 2019

वाहे गुरू जी का खालसा,

वाहे गुरू जी की फतेह।

साथियो, आज इस पवित्र धरती पर आकर मैं धन्‍यता का अनुभव कर रहा हूं। ये मेरा सौभाग्‍य है कि मैं आज देश को करतारपुर साहिब कॉरिडोर समर्पित कर रहा हूं। जैसी अनुभूति आप सभी को कार सेवा के समय होती है, अभी इस समय मुझे भी वही भाव अनुभव हो रहा है। मैं आप सभी को, पूरे देश को, दुनियाभर में बसे सिख भाइयों-बहनों को बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

आज शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी, उन्‍होंने मुझे ‘कौमी सेवा पुरस्‍कार’ भी दिया। ये पुरस्‍कार, ये सम्‍मान, ये गौरव हमारी महान संत परम्‍परा के तेज, त्‍याग और तपस्‍या का प्रसाद है। मैं इस पुरस्‍कार को, इस सम्‍मान को गुरू नानक देवजी के चरणों में समर्पित करता हूं।

आज इस पवित्र भूमि से गुरु नानक साहिब के चरणों में, गुरू ग्रंथ साहिब के सामने मैं नम्रतापूर्वक यही प्रार्थना करता हूं कि मेरे भीतर का सेवा भाव दिनों-दिन बढ़ता रहे और उनका आशीर्वाद मुझ पर ऐसे ही बना रहे।

साथियो, गुरू नानक देवजी के 550वें प्रकाश उत्‍सव से पहले Integrated Check Post- करतारपुर साहिब कॉरिडोर, इसका आरंभ होना हम सभी के लिए दोहरी खुशी ले करके आया है। कार्तिक पूर्णिमा पर इस बार देव-दीपावली और जगमग करके हमें आशीर्वाद देगी।

भाइयो और बहनों, इस कॉरिडोर के बनने के बाद अब गुरुद्वारा दरबार साहिब के दर्शन आसान हो जाएंगे। मैं पंजाब सरकार का, शिरोमणि गुरूद्वारा प्रबंधक कमेटी का, इस कॉरिडोर को तय समय में बनाने वाले हर श्रमिक साथी का बहुत-बहुत आभार व्‍यक्‍त करता हूं।

मैं पाकिस्‍तान के प्रधानमंत्री श्रीमान इमरान खान नियाजी का भी धन्‍यवाद करता हूं कि उन्‍होंने करतारपुर कॉरिडोर के विषय में भारत की भावनाओं को समझा, सम्‍मान दिया और उसी भावना के अनुरूप कार्य किया। मैं पाकिस्‍तान के श्रमिक साथियों का भी आभार व्‍यक्‍त करता हूं जिन्‍होंने इतनी तेजी से अपनी तरफ के कॉरिडोर को पूरा करने में मदद की।

साथियो, गुरू नानक देवजी सिर्फ सिख पंथ की, भारत की ही धरोहर नहीं, बल्कि पूरी मानवता के लिए प्रेरणा-पुंज हैं। गुरू नानक देव एक गुरू होने के साथ-साथ एक विचार है, जीवन का आधार है। हमारे संस्‍कार, हमारी संस्‍कृति, हमारे मूल्‍य, हमारी परवरिश, हमारी सोच, हमारे विचार, हमारे तर्क, हमारे बोल, हमारी वाणी, ये सब गुरू नानक देवजी जैसी पुण्‍यात्‍माओं द्वारा ही गढ़ी गई है। जब गुरू नानक देव यहां सुल्‍तानपुर लोधी से यात्रा पर निकले थे तो किसे पता था कि वो युग बदलने वाले हैं। उनकी वो ‘उदासियां’, वो यात्राएं, संपर्क-संवाद और समन्‍वय से सामाजिक परिवर्तन की बेहतरीन मिसाल है।

अपनी यात्राओं का मकसद स्‍वयं गुरू नानक देवजी ने बताया था-

बाबे आखिआ, नाथ जी, सचु चंद्रमा कूडु अंधारा !!

कूडु अमावसि बरतिआ, हउं भालण चढिया संसारा

साथियो, वो हमारे देश पर, हमारे समाज पर अन्‍याय, अधर्म और अत्‍याचार की जो अमावस्‍या छाई हुई थी, उससे बाहर निकालने के लिए निकल पड़े थे। गुलामी के उस कठिन कालखंड में भारत की चेतना को बचाने के लिए, जगाए रखने के लिए उन्‍होंने अपना जीवन समर्पित कर दिया।

साथियो, एक तरफ गुरू नानक देवजी ने सामाजिक दर्शन के जरिए समाज को एकता, भाईचारे और सौहार्द का रास्‍ता दिखाया, वहीं, दूसरी तरफ उन्‍होंने समाज को एक ऐसी आर्थिक व्‍यवस्‍था की भेंट दी, जो सच्‍चाई, ईमानदारी और आत्‍मसम्‍मान पर टिकी है। उन्‍होंने सीख दी कि सच्‍चाई और ईमानदारी से किए गए विकास से हमेशा तरक्‍की और समृद्धि के रास्‍ते खुलते हैं। उन्‍होंने सीख दी कि धन तो आता-जाता रहेगा, पर सच्‍चे मूल्‍य हमेशा रहते हैं। उन्‍होंने सीख दी हे कि अगर हम अपने मूल्‍यों पर अडिग रहकर काम करते हैं तो समृद्धि स्‍थाई होती है।

भाइयो और बहनों, करतारपुर सिर्फ गुरू नानक देवजी की कर्मभूमि नहीं है। करतारपुर के कण-कण में गुरू नानक देवजी का पसीना मिला हुआ है। उसकी वायु में उनकी वाणी घुली हुई है। करतारपुर की धरती पर ही हल चलाकर उन्‍होंने अपने पहले नियम- ‘किरत करो’ का उदाहरण प्रस्‍तुत किया, इसी धरती पर उन्‍होंने ‘नाम जपो’ की विधि बताई और यहीं पर अपनी मेहनत से पैदा की गई फसल को मिल-बांट कर खाने की ‘रीत’ भी शुरू की- ‘वंड छको’ का मंत्र भी दिया।

सा‍थियो, इस पवित्र स्‍थली के लिए हम जितना भी कुछ कर पाएंगे, उतना कम ही रहेगा। ये कॉरिडोर, integrated check post हर दिन हजारों श्रद्धालुओं की सेवा करेगा, उन्‍हें गुरूद्वारा दरबार साहिब के करीब ले जाएगा। कहते हैं शब्‍द हमेशा ऊर्जा बनकर वातावरण में विद्यमान रहते हैं। करतापुर से मिली गुरूवाणी की ऊर्जा सिर्फ हमारे सिख भाई-बहनों को ही नहीं, बल्कि हर भारतवासी को अपना आशीर्वाद देगी।

साथियो, आप सभी भलीभांति जानते हैं कि गुरू नानक देवजी के दो बहुत ही करीबी अनुयायी थे- भाई लालो और भाई मरदाना। इन होनहारों को चुनकर नानक देवजी जी ने हमें संदेश दिया कि छोटे-बड़े का कोई भेद नहीं होता और सबके सब बराबर होते हैं। उन्‍होंने सिखाया है कि बिना किसी भेदभाव के जब हम सभी मिलकर काम करते हैं तो प्रगति होना पक्‍का हो जाता है।

भाइयो और बहनों, गुरू नानक जी का दर्शन केवल मानव जाति तक ही सीमित नहीं था। करतारपुर में ही उन्‍होंने प्रकृति के गुणों का गायन किया था। उन्‍होंने कहा था-

पवणु गुरू, पाणी पिता, माता धरति महतु।

यानी हवा को गुरू मानो, पानी को पिता और धरती को माता के बराबर महत्‍व दो। आज जब प्रकृति के दोहन की बातें होती हैं, पर्यावरण की बातें होती हैं, प्रदूषण की बातें होती हैं तो गुरू की ये वाणी ही हमारे आगे के मार्ग का आधार बनती है।

साथियो, आप सोचिए, हमारे गुरू कितने दीर्घदृष्‍टा थे कि जिस पंजाब में पंच-आब, पांच नदियां बहती थीं, उनमें भरपूर पानी रहता था, तब- यानी पानी लबालब भरा हुआ था, तब गुरूदेव ने कहा था और पानी को लेकर चिंता जताई थी। उन्‍होंने कहा था-

पहलां पानी जिओ है, जित हरिया सभ कोय।

यानी पानी को हमेशा प्राथमिकता देनी चाहिए क्‍योंकि पानी से ही सारी सृष्टि का जीवन मिलता है। सोचिए- सैंकड़ों साल पहले ये दृष्टि, भविष्‍य पर ये नजर। आज भले हम पानी को प्राथमिकता देना भूल गए, प्रकृति-पर्यावरण के प्रति लापरवाह हो गए, लेकिन गुरू की वाणी बार-बार यही कह रही है कि वापस लौटो, उन संस्‍कारों को हमेशा याद रखो जो इस धरती ने हमें दिए हैं, जो हमारे गुरूओं ने हमें दिए हैं।

साथियो, बीते पांच सालों से हमारा ये प्रयास रहा है कि भारत को हमारे समृद्ध अतीत ने जो कुछ भी सौंपा है, उसको संरक्षित भी किया जाए और पूरी दुनिया तक पहुंचाया भी जाए। बीते एक वर्ष से गुरू नानक देव के 550वें प्रकाशोत्‍सव के समारोह चल रहे हैं, वो इसी सोच का हिस्‍सा हैं। इसके तहत पूरी दुनिया में भारत के उच्‍चायोग और दूतावास विशेष कार्यक्रम कर रहे हैं, सेमिनार आयोजित कर रहे हैं। गुरु नानक देवजी उनकी स्‍मृति में स्‍मारक सिक्‍के और स्‍टैंप भी जारी किए गए हैं।

साथियो, बीते एक साल से देश और विदेश में कीर्तन, कथा, प्रभातफेरी, लंगर जैसे आयोजनों के माध्‍यम से गुरू नानक देव की सीख का प्रचार किया जा रहा है। इससे पहले गुरू गोविंद सिंह जी के 350वें प्रकाशोत्‍सव को भी इसी तरह भव्‍यता के साथ पूरी दुनिया में मनाया गया था। पटना में हुए भव्‍य कार्यक्रम में तो मुझे खुद जाने का सौभाग्‍य भी मिला था। उस विशेष अवसर पर 350 रुपये का स्‍मारक सिक्‍का और डाक टिकट भी जारी किए गए। गुरु गोविंद सिंह जी की स्‍मृति और उनका संदेश अमर रहे- इसके लिए गुजरात के जामनगर में 750 बेड का आधुनिक अस्‍पताल भी उन्‍हीं के नाम से बनाया गया है।

भाइयो और बहनों, गुरू नानक जी के बताये रास्‍ते से दुनिया की नई पीढ़ी भी परिचित हो, इसके लिए गुरबाणी का अनुवाद विश्व की अलग-अलग भाषाओं में किया जा रहा है। मैं यहां यूनेस्को का भी आभार व्यक्त करना चाहूंगा, जिसने केंद्र सरकार के आग्रह को स्वीकार किया। यूनेस्को द्वारा भी गुरु नानक देव जी की रचनाओं को अलग-अलग भाषाओं में अनुवाद करने में मदद की जा रही है।

साथियों, गुरु नानक देव और खालासा पंथ से जुड़ी रिसर्च को बढ़ावा मिले, इसके लिए ब्रिटेन की एक यूनिवर्सिटी में Chairs की स्थापना की गई है। ऐसा ही प्रयास कनाडा में हो रहा है। इसी तरह अमृतसर में Inter-faith University की स्थापना करने का भी फैसला लिया गया है, ताकि सद्भाव और विविधता के प्रति सम्मान को और प्रोत्साहन मिले।

भाइयों और बहनों, हमारे गुरुओं से जुड़े अहम स्थानों में कदम रखते ही उनकी विरासत से साक्षात्‍कार हो, नई पीढ़ी से उनका जुड़ाव आसानी से हो, इसके लिए भी गंभीर कोशिशें हो रही हैं। यहीं सुल्‍तानपुर लोधी में आप इन कोशिशों को साक्षात अनुभव कर सकते हैं। सुल्‍तानपुर लोधी को Heritage town बनाने का काम चल रहा है। Heritage Complex हो, म्‍यूजियम हो, ऑडिटोरियम हो, ऐसे अनेक काम यहां या तो पूरे हो चुके हैं या फिर जल्‍द पूरे होने वाले हैं। यहां के रेलवे स्‍टेशन से लेकर शहर के अन्‍य क्षेत्रों में गुरू नानक देवजी की विरासत हमें देखने को मिले, ये कोशिश भी की जा रही है। गुरू नानक देवजी से जुड़े तमाम स्‍थानों से होकर गुजरने वाली एक विशेष ट्रेन भी हफ्ते में पांच दिन चलाई जा रही है ताकि श्रद्धालुओं को आने-जाने में परेशानी न हो।

भाइयो और बहनों, केंद्र सरकार ने देशभर में स्थित सिखों के अहम स्‍थानों के बीच connectivity को सशक्‍त करने का भी प्रयास किया है। श्री अकाल तख्त, दमदमा साहिब, केशगढ़ साहिब, पटना साहिब और हज़ूर साहिब के बीच रेल और हवाई connectivity पर बल दिया गया है। अमृतसर और नांदेड़ के बीच विशेष फ्लाइट की भी अपनी सेवा शुरु कर चुकी है। ऐसे ही अमृतसर से लंदन के लिए जाने वाली एयरइंडिया की फ्लाइट में ‘इक ओँकार’ के संदेश को भी अंकित किया गया है।

साथियो, केंद्र सरकार ने एक और महत्‍वपूर्ण फैसला लिया है, जिसका लाभ दुनियाभर में बसे अनेक सिख परिवारों को हुआ है। कई सालों से कुछ लोगों को भारत में आने पर जो दिक्‍कत थी, अब उन दिक्‍कतों को दूर कर दिया गया है। इस कदम से अब अनेक परिवार वीजा के लिए, OCI कार्ड के लिए अप्‍लाई कर सकेंगे। वो यहां भारत में अपने रिश्‍तेदारों से आसानी से मिल सकेंगे और यहां गुरुओं के स्‍थानों में जाकर अरदारस भी कर पाएंगे।

भाइयो और बहनों, केंद्र सरकार के दो और फैसलों से भी सिख समुदाय को सीधा लाभ हुआ है। आर्टिकल-370 के हटने से, अब जम्‍मू-कश्‍मीर और लद्दाख में भी सिख परिवारों को वही अधिकार मिल पाएंगे जो बाकी हिंदुस्‍तान में उन्‍हें मिलते हैं। अभी तक वहां हजारों परिवार ऐसे थे, जो अनेक अधिकारों से वंचित थे। इसी प्रकार Citizens Amendment Bill, उसमें संशोधन का भी बहुत बड़ा लाभ हमारे सिख भाई-बहनों को भी मिलेगा। उन्हें भारत की नागरिकता मिलने में आसानी होगी।

साथियो, भारत की एकता, भारत की रक्षा-सुरक्षा को लेकर गुरू नानक देवजी से लेकर गुरू गोविंद सिंह जी तक, हर गुरू साहिब ने निरंतर प्रयास किए हैं, अनेक बलिदान दिए हैं। इसी परम्‍परा को आजादी की लड़ाई और आजाद भारत की रक्षा में सिख सा‍थियों ने पूरी शक्ति से निभाया है। देश के लिए बलिदान देने वाले साथियों के समर्पण को सम्‍मान देने के लिए भी अनेक सार्थक कदम सरकार ने उठाए हैं। इसी साल जलियांवाला बाग हत्‍याकांड के 100 वर्ष पूरे हुए हैं। इससे जुड़े स्‍मारक को आधुनिक बनाया जा रहा है। सरकार द्वारा सिख युवाओं के स्‍कूल, स्किल और स्‍वरोजगार पर भी विशेष ध्‍यान दिया जा रहा है। बीते 5 वर्ष में करीब 27 लाख सिख स्‍टूडेंट्स को अलग-अलग स्‍कॉलरशिप दी गई है।

भाइयो और बहनों, हमारी गुरू परम्‍परा, संत परम्‍परा, ऋषि परम्‍परा ने अलग-अलग कालखंड में, अपने-अपने हिसाब से चुनौतियों से निपटने के रास्‍ते सुझाए हैं। उनके रास्‍ते जितने तब सार्थक थे, उतने ही आज भी अहम हैं। राष्‍ट्रीय एकता और राष्‍ट्रीय चेतना के प्रति हर संत, हर गुरू का आग्रह रहा है। अंधविश्‍वास हो, समाज की कु‍रीतियां हो, जाति भेद हो, इसके विरुद्ध हमारे संतों ने, गुरुओं ने मजबूती से आवाज बुलंद की है।

साथियों, गुरू नानक जी कहा करते थे-

“विच दुनिया सेवि कमाइये, तदरगिह बेसन पाइए”।

यानि संसार में सेवा का मार्ग अपनाने से ही मोक्ष मिलता है, जीवन सफल होता है। आइए, इस अहम और पवित्र पड़ाव पर हम संकल्प लें कि गुरु नानक जी के वचनों को अपने जीवन का हिस्सा बनाएंगे। हम समाज के भीतर सद्भाव पैदा करने के लिए हर कोशिश करेंगे। हम भारत का अहित सोचने वाली ताकतों से सावधान रहेंगे, सतर्क रहेंगे। नशे जैसी समाज को खोखला करने वाली आदतों से हम दूर रहेंगे। अपनी आने वाली पीढ़ियों को दूर रखेंगे। पर्यावरण के साथ तालमेल बिठाते हुए, विकास के पथ को सशक्त करेंगे। गुरु नानक जी की यही प्रेरणा मानवता के हित के लिए, विश्व की शांति के लिए आज भी प्रासंगिक है।

नानक नाम चढ़दी कला, तेरे भाणे सरबत दा भला !!!

साथियों, एक बार फिर आप सभी को, पूरे देश को, संपूर्ण विश्व में फैले सिख साथियों को गुरु नानक देवजी के 550वें प्रकाशोत्सव पर और करतारपुर साहिब कॉरिडोर की बहुत-बहुत बधाई देता हूं। गुरू ग्रंथ्‍ साहिब के सामने खड़े हो करके इस पवित्र कार्य में हिस्‍सा बनने का अवसर मिला, मैं अपने-आपको धन्‍य मानते हुए मैं आप सबको प्रणाम करते हुए-

सतनाम श्री वाहेगुरु !

सतनाम श्री वाहेगुरु !

सतनाम श्री वाहेगुरु !